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Choti behen ki seal todi

समय बर्बाद न करते हुए सीधा कहानी की शुरुआत करते है। मैं कौन हूँ इससे कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन मेरी उम्र 25 साल है। इन्सेस्ट का बुखार तो काफी सालो से था लेकिन तड़प एक दोपहर को उठी जब कुछ ऐसा नज़ारा देख लिया जिसे भूल के भी भूल नहीं पा रहा था। बात एक ऐसी दोपहर की है जब मेरी छोटी बहन ने अपना फोटोशूट करवाना था। वो एक नयी ड्रेस लेकर आयी थी जिसके साथ वो फोटो खिंचवाना चाहती थी। मेरी बहन का नाम प्रियंका है और वो 19 साल की है। मैं नींद पूरी करके अभी उठा ही था की उसने बोला, “भइया जल्दी आओ, मुझे फोटोशूट करवाना है।”, अब एक दम से नींद से उठते हो और कोई तुम्हे कुछ काम देदे तो गुस्सा तो आता है। मुझे भी आया लेकिन सोचा चलो छोड़ो, खिंच ही लेते है फोटो।
मैंने कैमरा निकाला और घर के पिछवाड़े में बने बगीचे में फोटोशूट करने चले गए। अभी मैंने दो तीन ही फोटो खींची थी। मैं उसे कहा, “यार जगह तो बदल ले, एक ही जगह खिचवा रही है फोटो”। वो जगह बदल कर पास ही बनी सीढ़ियों पर बैठ गयी। मैंने उसकी फोटो खींचना शुरू की और तभी मेरी नज़र उसकी टांगों के बीच में गयी। उसने काले रंग का वन पीस पहना था जो उसकी जांघो तक आ रहा था। मेरा ध्यान कैमरा पे था इसलिए उसे अंदाज़ा नहीं हुआ की मैं कैमरा में उसकी टांगों के बीच ज़ूम करके देख रहा हूँ। मैंने चुप चाप उसकी टांगों के बीच की फोटो ले ली और उसे बोला की हो गया शूट। मैंने उसे बोला, “तू तब तक कपडे बदल मैं फोटो निकाल लेता हूँ”। इतने में वो कपडे बदलने चली गयी। मैंने फटा फट फोटो निकाली और उस फोटो को अलग से रख दिया।
उसने तसल्ली से सारी फोटोएं देखी और चली गई, उसके जाते ही मैंने दरवाज़ा बंद किया और उस फोटो को खोला। फोटो एक दम साफ़ थी जिसमे साफ़ पता लग रहा था की प्रियंका ने सफ़ेद रंग की पैंटी पहनी है। वो पैंटी ज़रा टाइट भी थी जिससे उसकी चूत की लकीर भी दिख रही थी। उसको लेकर कभी मैंने इन्सेस्ट सोचा नहीं लेकिन उस दिन पता नहीं किन दिल किया मुठ मारने का। अब जब कभी भी वो मेरे सामने आती तो मुझे उसकी वही फोटो याद आ जाती। मैंने एक दिन उसके मम्मों की तरफ गौर किया तो देखा वो भी हल्के हल्के उभर रहे है हालाँकि इतने बड़े नहीं हुए थे लेकिन जवानी झलक रही थी। मैं उसे कुछ न कुछ मैसेज के ज़रिये भेजता रहता था, तो बातों ही बातों मैंने धीरे धीरे उसे प्यार वाले मैसेज भेजना शुरू कर दिए जो कविता की तरह थे। उन मैसेज और फोटोज में कभी कभी भाई बहन के प्यार का भी ज़िक्र होता। वैसे वो रिप्लाई कर देती थी मेरे मैसेज का लेकिन जब से ऐसे मैसेज भजने शरू किये तब से उसका कुछ ख़ास रिप्लाई नहीं आता था, मुझे लगा शायद ये बुरा मान गयी है।
मैंने उससे बात करने गया और कहा, “क्या हुआ तू रिप्लाई क्यों नहीं करती?”, वो बोली, “अरे भइया, मेरी एक फ्रेंड का बर्थडे आ रहा है तो उसी की तयारी में बिजी हूँ।”, चलो मुझे चैन मिला ये सुनकर। एक शाम वो टीवी देख रही थी, उस रात उसने कुर्ती पहनी थी। मैं भी उसके साथ बैठ कर टीवी देखने लगा। वो कोई इंग्लिश मूवी देख रही थी जिसमे एक टाइम बाद एक रोमांटिक सीन आ गया। सीन हालाँकि इतना गन्दा नहीं था लेकिन बहन होने के नाते उसे हिचक हो रही थी मेरे सामने देखने में। सीन का तो पता नहीं लेकिन उस सीन में जब मैंने अपनी छोटी बहन को इमेजिन किया तो मेरा लंड धीरे धीरे खड़ा होने लगा, अब मैं तो अजीब फील कर रहा था की अगर इसने देख लिया तो ये क्या सोचेगी। लेकिन मैंने सोचा तू इतनी शर्म क्यों कर रहा है बल्कि उसे भी एहसास होने दे तेरे लंड के आकार का। मैंने सफ़ेद लोअर पहनी थी जिसमे से मेरे लंड का मोटा आकर दिख रहा था। उसने टेढ़ी नज़रों से नीचे देखा और एक दम नज़रें घुमा ली। मुझे लगा इसे अच्छा नहीं लग रहा होगा लेकिन फिर भी मैंने हार नहीं मानी, मुँह वहां से उठ कर जाने लगा लेकिन मैं उसके चेहरे के सामने से निकला जिससे कुछ सेकण्ड्स के लिए मेरा लंड उसके चेहरे के सामने आया था और उसकी हल्की सी हैरत से आँखें भी फ़टी थी। सर्दिया ज़्यदा दूर नहीं थी इसलिए सर्दियों के हलके कपडे पहना शुरू कर दिए हमने। एक दिन पेरेंट्स का प्लान कहीं बाहर जाने का बना, उन्होंने कहा की वो कल रात तक ही आएंगे इसलिए घर का ध्यान रखना। मेरे दिमाग में सिर्फ एक बात थी जब घर खाली है और ऐसी खूबसूरत और कमसिन बहन है तो बिस्तर गर्म हो सकता है। मैंने पता नहीं किस भरोसे से कंडोम खरीद लिए। खरीद कर तो ऐसे लाया मानो जैसे आज रात पक्का कुछ होगा हमारे बीच।
रात का खाने खाने के बाद हम मूवी देखने लगे, थोड़ी देर बाद वो बोली, “बोर हो रही हूँ, कुछ ढंग की मूवी भी नहीं आ रही”, इतने में मैंने कहा, “मेरे पास एक हॉरर मूवी है, वो चलाऊ क्या?” उसकी उत्सुकता थोड़ी सी बड़ी और उसने हाँ कह दिया। हम मूवी देखने लगे, मैंने तो मूवी बहुत बार देखि थी इसलिए मेरा ध्यान मूवी की तरह कम और उसकी तरफ ज़्यदा था। उसने एक टी शर्ट, नीचे से लोअर और हलकी सी जैकेट पहनी थी। मैंने भी बातों ही बातों में उसकी जांघो पर हाथ रख दिया। उसे पता नहीं लगा क्यूंकि वो मूवी में घुस चुकी थी। मूवी खत्म हो गयी और मुझे बहुत गुस्सा आया की इतना अच्छा चल रहा था और मूवी को भी अभी खत्म होना था। अब क्या, हम दोनों अपने अपने कमरों में चले गए सोने। मुझे अफ़सोस हो रहा था की मैं बिना मतलब ही कंडोम खरीद कर ले आया। मैंने लाइट बंद की और बेड पर लेट गया। लगभग 15 मिनट बाद प्रियंका का मैसेज आया की उसे डर लग रहा है। मैंने उसे अपने कमरे में बुला लिया। अब एक ख़ुशी थी वो मेरे साथ सोई थी लेकिन कंडोम इस्तेमाल करने तक तो बात ही नहीं पहुंचती।
कुछ देर बाद मैं धीरे से सरक कर आगे हो गया और उससे बातें करने लगा। उसकी पीठ मेरी तरफ थी और मैंने बातों ही बातों में अपना हाथ उसकी जांघ पर रखा था। हमरी बातें हॉरर मूवी से रोमांटिक मूवीज में आ गयी। ऐसे ही चलते रहा बातों का सिलसिला और फिर जब थोड़ी शर्म वाली चद्दर हटने लगी तो मैंने उससे पुछा, “तूने वो वाली मूवी देखि है?”, वो कहती, “वो वाली कौनसी भइया?”, मैंने उसे फिर बोला, “अरे वो वाली, समझ जा ना।” वो फिर भी नहीं समझी, मैंने उसे बोला, “वो वाली मूवी जिसमे कुछ ज़्यदा ही रोमांस होता है”, ये सुनकर वो कहती की रोमांटिक मूवीज तो देखि है मैंने। मैंने उसे फिर बताया, “अरे मतलब जिसमे बिना कपड़ों के रोमांस करते है”. ये सुनकर वो शर्म से लाल हो गयी और समझ गयी मैं कैसी मूवी की बात कर रहा हूँ। वो बोली, “नहीं भइया और ये कैसी मूवी पूछ रहे हो आप मुझसे?”, मैंने कहा, “अरे तू दोस्त की तरह है मेरी और दोस्त से तो सब कुछ शेयर करते है।” वो हल्का सा मुस्कराई और चुप हो गयी। मैंने बोला, “सुन, अगर तुझे देखनी है तो मैं दिखा देता हूँ”, वो एक दम से बोली नहीं नहीं बिलकुल नहीं। मैंने कहाँ देख ले किसी को नहीं बताऊंगा तेरी कसम। वो कहती, “भइया प्लीज ऐसी बातें न करो, नहीं देखनी मुझे।” मैंने भी ज्याद ज़ोर नहीं डाला और उसे पुछा, “अच्छा तू मत देख लेकिन मैं तो देख सकता हूँ न, तुझे कोई दिक्कत तो नहीं?’, अब वो भी सोचने लग गयी इसमें क्या ही बोलू, उसने लम्बी सांस भरते हुए कहा, “ठीक है।”, मैंने जान बूझकर बिना ईयर फ़ोन लगाए मूवी देखने लगा। उसमें आवाज़ें ही कुछ ऐसी आयी की वो अजीब सा महसूस करने लगी। उसने 5 मिनट तक सब नज़र अंदाज़ किया लेकिन फिर वो मेरी तरफ घूम गयी और कहती, “दिखाओ ज़रा कैसी होती है”
अब वो मेरे साथ देखने लगी और शर्म से उसका मुँह लाल हो गया, शयद वो पहली बार देख रही थी और उसे यकीन नहीं हो रहा था ये क्या कर रहे है। उसने कहा, “बस काफी है और नहीं देखनी, बहुत गन्दी है ये”, मैंने अपना उसकी गांड के ऊपर रखा और कहा, “कितनी गन्दी है?”, वो बोली गन्दी है भइया बहुत, वो लड़की कितनी चीख रही थी और लड़का रुक नहीं रहा था। मैंने उसे समझाया वो मज़े का दर्द था, वो मज़े में चीख रही थी। उसे लगा मैं मज़ा कर रहा हूँ और कहती, “कैसी बात कर रहे हो, भला मज़े में भी कोई चीखता है?”, मैंने धीरे से अपना हाथ खिसकाते हुए उसकी चूत की लकीर पर रख दिया और धीरे धीरे मसलने लगा। वो कहती, “ये क्या कर रहे हो भैया आप?”, मैंने कहाँ कुछ नहीं बस तू चुप चाप लेती रह। वो चुप चाप लेती रही और मैं उसकी चूत मसलता रहा। उसकी हल्की हल्की दबी आवाज़ में चीख निकली, मैंने पुछा क्या हुआ, वो कहती कुछ नहीं। मैंने उसे फिर पुछा, “तुझे मज़ा आ रहा है न?”, वो कहती नहीं बिलकुल भी नहीं फिर मैंने कहा, “तो फिर मुझे रोक क्यों नहीं रही”, वो चुप हो गयी और हसने लगी। मैंने उसके लोअर का नाडा खोला और कहा उतार इसे। वो इंकार करने लगी और कहती नहीं भइया ये ठीक नहीं है, मैं नहीं खोलूंगी। मैंने कहा, “बेबी खोल न, एक बार खोल, अभी लोअर के बाहर से कर रहा था अब अच्छी तरह अंदर से करूँगा। वो किसी तरह मान गयी और लोअर उसने घुटनो तक उतार दिया। मैंने अपना लंड बाहर कर दिया और उसकी नंगी चूत में ऊँगली करने लगा, मेरे ऐसा करते ही वो हल्की सी कहराने लगी और मैंने उसका हाथ पीछे को किया और अपने लंड पर रख दिया। मैंने कहा, “तू इसे पकड़ कर हिला”, वो हिलाने लगी और साथ ही मदहोशी की आवाज़ में कहने लगी नहीं बहिया ये गलत हो रहा है सब। मैंने कहा कुछ गलत नहीं तू बस हिलाते रह। अब मैंने अपने लंड का अगला हिस्सा उसकी चूत पर लगाया और रगड़ने लगा। वो एक दम से मुझे देख कर बोली, “भइया ये क्या कर रहे हो, टच करने तक ठीक था लेकिन आपने तो….. मैंने उसे बीच में टोक दिया और कहा कुछ नहीं होता। मैंने तकिये के पास कंडोम रखा था, मैंने कंडोम पहन लिया और से बोला, “तू इतना मत सोचा कर, ये बहुत आम बात है”, मैंने कंडोम पहन के अपना लंड रगंडा जारी रखा। उसकी चूत की सील अभी टूटी नहीं थी, इसलिए बहुत आराम से घुसाने लगा।
वो डर गयी और मुझे रोक दिया, मैंने उसे पुछा, “क्या हुआ?”, वो बोली, “भइया मुझे अच्छा नहीं लग रहा, हम ये ठीक कर रहे है क्या?”, मैंने उसको समझया की कुछ गलत नहीं है ये तो हमरे नेचर का हिस्सा है। मझे पता था अभी वो कच्ची कली है इसलिए उसे दर्द होगा। मैंने उसके बाल संवारना शुरू किये और फिर उसका मुँह दबा लिया ताकि वो ज़ोर से चीख न दे। और एक दम से उसकी चूत में दाल दिया। मेरा हाथ भी उसकी चीख रोक नहीं पायी हालाँकि चीख ज़ोर से गूंजी नहीं। मैंने कहा उसे, “बस चल गया अंदर, पहली बार कर रही है इसलिए थोड़ा दर्द होगा”, उसके हल्के हल्के आँशु निकल गए थे लेकिन वो धीरे धीरे मज़ा लेने लग गयी थी। अब मैंने रफ़्तार बढ़ा ली थी उसे चोदने की, चुड़ते वक़्त वो कुछ भी बोल रही थी उसकी आवाज़ में कंपकंपी आ रही थी झटको की वजह से। वो बार बार कह रही थी, “बस भइया और नहीं, दर्द हो रहा है…. प्लीज रुक जाओ। मैंने भी लंड उसकी चूत में अंदर बाहर करते हुए बोला, “बस हो गया बहन, थोड़ी देर और”, उसका बदन टूट चूका था, चूत सूझ गयी थी और मेरा भी इतने में पानी निकल गया। सब कुछ होने के बाद मैंने उसे किश किया और बोला, “सो सॉरी तुझे इतना दर्द हुआ बहन, लेकिन पहली बार किया तूने इसलिए हुआ।”, वो बोलती, “कोई बात नहीं भइया लेकिन पहली बार भी अच्छा रहा है…. पर आप बहुत ज़ोर हो। मैंने कहा, “देखना जब अगली बार करेंगे तब तू खुद बोलेगी ज़ोर से करो” इतना सुनकर वो मुस्कराने लगी।
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