सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Bhaiya mujhe sharm aati hai

 भाई बहन की चुदाई की इस कहानी के पिछले भाग में अभी तक आपने पढ़ा कि बहन ने अपने भाई को मुठ मारते देखा.

सुबह उठी तो पूरा बदन अनबुझी प्यास की वजह से सुलग रहा था। लाख रग़ड़ लो तकिये पर लेकिन चूत में लंड घुसकर जो मजा देता है उसका कहना ही क्या। मुझे शर्म आती है

बेड पर लेटे हुए मैं सोचती रही कि मुकेश के कुंवारे लंड को कैसे अपनी चूत का रास्ता दिखाया जाए। फिर उठकर तैयार हुई, मुकेश भी स्कूल जाने को तैयार था। नाश्ते की मेज हम दोनों आमने-सामने थे। नज़रें मिलते ही रात की याद ताज़ा हो गई और हम दोनों मुस्करा दिए, मुकेश मुझसे कुछ शरमा रहा था कि कहीं मैं उसे छेड़ ना दूँ। मुझे लगा कि अगर अभी कुछ बोलूँगी तो वह बिदक जाएगा इसलिए चाहते हुए भी ना बोली।

चलते समय मैंने कहा- चल, आज तुझे अपने स्कूटर पर स्कूल छोड़ दूँ।

वह फ़ौरन तैयार हो गया और मेरे पीछे बैठ गया। वह थोड़ा सकुचाता हुआ मुझसे अलग बैठा था, वह पीछे की स्टेपनी पकड़े था।

मैंने स्पीड से स्कूटर चलाया तू उसका संतुलन बिगड़ गया और संभालने के लिए उसने मेरी कमर पकड़ ली।

मैं बोली- कस कर पकड़ ले, शरमा क्यों रहा है?

‘अच्छा दीदी!’ और उसने मुझे कसकर कमर से पकड़ लिया और मुझसे चिपक सा गया। उसका लंड खड़ा हो गया था और वह अपनी जांघों के बीच मेरे चूतड़ों को जकड़े था।

‘क्या रात वाली बात याद आ रही है मुकेश?’

‘दीदी रात की बात ही मत करो। कहीं ऐसा ना हो कि मैं स्कूल में भी शुरू हो जाऊँ।’

‘अच्छा तो बहुत मजा आया रात में?’

‘हाँ दीदी इतना मजा ज़िंदगी में कभी नहीं आया। काश कल की रात कभी ख़त्म ना होती। आपके जाने के बाद मेरा फिर खड़ा हो गया था पर आपके हाथ में जो बात थी वो कहाँ! ऐसे ही सो गया।’ desi sex stories

‘तो मुझे बुला लिया होता। अब तो हम तुम दोस्त हैं, एक दूसरे के काम आ सकते हैं।’

‘तो फिर दीदी आज रात का प्रोग्राम पक्का।’

‘चल हट, केवल अपने बारे में ही सोचता है, यह नहीं पूछता कि मेरी हालत कैसी है, मुझे किसी चीज़ की ज़रूरत तो नहीं है? चल मैं आज नहीं आती तेरे पास!’

‘अरे आप तो नाराज़ हो गई दीदी। आप जैसा कहेंगी वैसा ही करूँगा। मुझे तो कुछ भी पता नहीं, अब आप ही को मुझे सब सिखाना होगा।’

तब तक उसका स्कूल आ गया था, मैंने स्कूटर रोका और वह उतरने के बाद मुझे देखने लगा लेकिन मैं उस पर नज़र डाले बग़ैर आगे चल दी। मुझे शर्म आती है

स्कूटर के शीशे में देखा कि वह मायूस सा स्कूल में जा रहा है, मैं मन ही मन बहुत ख़ुश हुई कि चलो अपने दिल की बात का इशारा तो उसे दे ही दिया।

शाम को मैं अपने कॉलेज से जल्दी ही वापस आ गई थी। मुकेश 2 बजे वापस आया तो मुझे घर पर देखकर हैरान रह गया। मुझे लेटी देखकर बोला- दीदी आपकी तबीयत तो ठीक है?

‘ठीक ही समझो, तुम बताओ कुछ होमवर्क मिला है क्या?’

‘दीदी कल इतवार है ही। वैसे कल रात का काफ़ी होमवर्क बचा हुआ है।’

मैंने हँसी दबाते हुए कहा- क्यों? पूरा तो करवा दिया था। वैसे भी तुझे यह सब नहीं करना चाहिए। सेहत पर असर पड़ता है, कोई लड़की पटा ले, आजकल की लड़कियाँ भी इस काम में काफ़ी इंटेरेस्टेड रहती हैं!’

‘दीदी। आप तो ऐसे कह रही हैं जैसे लड़कियाँ मेरे लिए सलवार नीचे और कमीज़ ऊपर किए तैयार है कि आओ पैंट खोलकर मेरी ले लो।’

‘नहीं ऐसी बात नहीं है, लड़की पटानी आनी चाहिए।’

फिर मैं उठकर नाश्ता बनाने लगी, मन में सोच रही थी कि कैसे इस कुंवारे लंड को लड़की पटा कर चोदना सिख़ाऊँ।

लंच पर उससे पूछा- अच्छा यह बता, तेरी किसी लड़की से दोस्ती है?

‘हाँ दीदी, सुधा से!’

‘कहाँ तक?’

‘बस बातें करते हैं और स्कूल में साथ ही बैठते हैं!’

मैंने सीधी बात करने के लिए कहा- कभी उसकी लेने का मन करता है?

‘दीदी, आप कैसी बात करती हैं!’

वह शरमा गया तो मैं बोली- इसमें शरमाने की क्या बात है? मुट्ठ तो तू रोज़ मारता है, ख़्यालों में कभी सुधा की ली है या नहीं? सच बता!’

‘लेकिन दीदी, ख़्यालों में लेने से क्या होता है?’

‘तो इसका मतलब है कि तू उसकी असल में लेना चाहता है?’ मैंने कहा।

‘उससे ज़्यादा तो और एक है जिसकी मैं लेना चाहता हूँ, जो मुझे बहुत ही अच्छी लगती है।’

‘जिसकी कल रात ख़्यालों में ली थी?’

उसने सर हिलाकर हाँ कर दिया पर मेरे बार-बार पूछने पर भी उसने नाम नहीं बताया, इतना ज़रूर कहा कि उसकी चुदाई कर लेने के बाद ही उसका नाम सबसे पहले मुझे बताएगा। antarvasna

मैंने ज़्यादा नहीं पूछा क्योंकि मेरी चूत फिर से गीली होने लगी थी, मैं चाहती थी कि इससे पहले कि मेरी चूत लंड के लिए बेचैन हो, वह ख़ुद मेरी चूत में अपना लंड डालने के लिए गिड़गिड़ाए। मैं चाहती थी कि वह लंड हाथ में लेकर मेरी मिन्नत करे कि दीदी बस एक बार चोदने दो।

मेरा दिमाग़ ठीक से काम नहीं कर रहा था, इसलिए बोली- अच्छा चल कपड़े बदल कर आ, मैं भी बदलती हूँ।

वह अपनी यूनिफ़ोर्म बदलने गया और मैंने भी प्लान के मुताबिक़ अपनी सलवार कमीज़ उतार दी, फिर ब्रा और पेंटी भी उतार दी क्योंकि पटाने के मदमस्त मौक़े पर ये दिक्कत करते। अपना देसी पेटिकोट और ढीला ब्लाऊज़ ही ऐसे मौक़े पर सही रहते हैं। जब बिस्तर पर लेटो तो पेटिकोट अपने आप आसानी से घुटनों तक आ जाता है और थोड़ी कोशिश से ही और ऊपर आ जाता है, जहाँ तक ब्लाऊज़ का सवाल है तू थोड़ा सा झुको तो सारा माल छलक कर बाहर आ जाता है। बस यही सोचकर मैंने पेटिकोट और ब्लाऊज़ पहना था। मुझे शर्म आती है

वह सिर्फ़ पजामा और बनियान पहनकर आ गया। उसका गोरा चिट्टा चिकना बदन मदमस्त करने वाला लग रहा था। एकाएक मुझे एक आईडिया आया, मैं बोली- मेरी कमर में दर्द हो रहा है ज़रा बाम लगा दे।

यह बेड पर लेटने का परफ़ेक्ट बहाना था और मैं बिस्तर पर पेट के बल लेट गई। मैंने पेटिकोट थोड़ा ढीला बाँधा था इसलिए लेटते ही वह नीचे खिसक गया और मेरे चूतड़ों के बीच की दरार दिखाई देने लगी। लेटते ही मैंने हाथ भी ऊपर कर लिए जिससे ब्लाऊज़ भी ऊपर हो गया और उसे मालिश करने के लिए ज़्यादा जगह मिल गई। वह मेरे पास बैठकर मेरी कमर पर आयोडेक्स लगाकर धीरे धीरे मालिश करने लगा।

उसका स्पर्श बड़ा ही सेक्सी था और मेरे पूरे बदन में सिहरन सी दौड़ गई। थोड़ी देर बाद मैंने करवट लेकर मुकेश की ओर मुँह कर लिया और उसकी जाँघ पर हाथ रखकर ठीक से बैठने को कहा। करवट लेने से मेरी चूचियाँ ब्लाऊज़ के ऊपर से आधी से ज़्यादा बाहर निकल आई थी। उसकी जाँघ पर हाथ रखे रखे ही मैंने पहले की बात आगे बढ़ाई- तुझे पता है कि लड़की कैसे पटाई जाती है?

मुझे शर्म आती है !
‘अरे दीदी, अभी तो मैं बच्चा हूँ। ये सब आप बताएँगी तब मालूम होगा मुझे।’

आयोडेक्स लगाने के दौरान मेरा ब्लाऊज़ ऊपर खिंच गया था जिसकी वजह से मेरी गोलाईयाँ नीचे से भी झाँक रही थी। मैंने देखा कि वह एकटक मेरी चूचियों को घूर रहा है। उसके कहने के अंदाज़ से भी मालूम हो गया कि वह इस सिलसिले में ज़्यादा बात करना चाह रहा है।

‘अरे यार, लड़की पटाने के लिए पहले ऊपर ऊपर से हाथ फेरना पड़ता है, यह मालूम करने के लिए कि वह बुरा तो नहीं मानेगी।’

‘पर कैसे दीदी?’ उसने पूछा और अपने पैर ऊपर किए।

मैंने थोड़ा खिसक कर उसके लिए जगह बनाई और कहा- देख, जब लड़की से हाथ मिलाओ तो उसको ज़्यादा देर तक पकड़ कर रखो, देखो कब तक नहीं छुड़ाती है और जब पीछे से उसकी आँख बंद करके पूछो कि मैं कौन हूँ तो अपना केला धीरे से उसके पीछे लगा दो। जब कान में कुछ बोलो तो अपना गाल उसके गाल पर रग़ड़ दो। वो अगर इन सब बातों का बुरा नहीं मानती तो आगे की सोचो। मुझे शर्म आती है अन्तर्वासना

मुकेश बड़े ध्यान से सुन रहा था, वह बोला- दीदी, सुधा तो इन सब का कोई बुरा नहीं मानती जबकि मैंने कभी यह सोचकर नहीं किया था। कभी कभी तो उसकी कमर में हाथ डाल देता हूँ पर वह कुछ नहीं कहती।

‘तब तो यार छोकरी तैयार है, और अब तो उसके साथ दूसरा खेल शुरू कर!’

‘कौन सा दीदी?’

‘बातों वाला! यानि कभी उसके संतरों की तारीफ़ करके देख, क्या कहती है, अगर मुस्कुरा कर बुरा मानती है तो समझ ले कि पटाने में ज़्यादा देर नहीं लगेगी।’

‘पर दीदी, उसके तो बहुत छोटे-छोटे संतरे हैं, तारीफ़ के काबिल तो आपके हैं।’ वह बोला और शरमा कर मुँह छुपा लिया।

मुझे तो इसी घड़ी का इंतजार था, मैंने उसका चेहरा पकड़कर अपनी ओर घूमाते हुए कहा- मैं तुझे लड़की पटाना सिखा रही हूँ और तू मुझी पर नज़र जमाए है?

‘नहीं दीदी, सच में आपकी चूचियाँ बहुत प्यारी हैं बहुत दिल करता है!’ और उसने मेरी कमर में एक हाथ डाल दिया।

‘अरे क्या करने को दिल करता है, यह तो बता?’ मैंने इठला कर पूछा।

‘इनको सहलाने का और इनका रस पीने का!’ अब उसके हौसले बुलंद हो चुके थे और उसे यक़ीन था कि अब मैं उसकी बात का बुरा नहीं मानूंगी।

‘तो कल रात बोलता, तेरी मुट्ठ मारते हुए इनको तेरे मुँह में लगा देती। मेरा कुछ घिस तो नहीं जाता। चल आज जब तेरी मुट्ठ मारूंगी तो उस वक़्त अपनी मुराद पूरी कर लेना।’ इतना कह उसके प्यजमा में हाथ डालकर उसका लंड पकड़ लिया जो पूरी तरह से तन गया था।

‘अरे यह तो अभी से तैयार है।’

तभी वह आगे को झुका और अपना चेहरा मेरे सीने में छुपा लिया। मैंने उसको बांहों में भरकर अपने क़रीब लिटा लिया और कस के दबा लिया। ऐसा करने से मेरी चूत उसके लंड पर दबने लगी। उसने भी मेरी गर्दन में हाथ डाल मुझे दबा लिया।

तभी मुझे लगा कि वो ब्लाऊज़ के ऊपर से ही मेरी एक चूची को चूस रहा है। मैंने उससे कहा- अरे, यह क्या कर रहा है? मेरा ब्लाऊज़ ख़राब हो जाएगा।

उसने झट से मेरा ब्लाऊज़ ऊपर किया और निप्पल मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। मैं उसकी हिम्मत की दाद दिए बग़ैर नहीं रह सकी। वह मेरे साथ पूरी तरह से आज़ाद हो गया था। अब यह मेरे ऊपर था कि मैं उसको कितनी आज़ादी देती हूँ। अगर मैं उसे आगे कुछ करने देती तो इसका मतलब था कि मैं ज़्यादा बेकरार हूँ चुदवाने के लिए और अगर उसे मना करती तो उसका मूड ख़राब हो जाता और शायद फिर वह मुझसे बात भी ना करे। इसलिए मैंने बीच का रास्ता लिया और बनावटी ग़ुस्से से बोली- अरे, यह क्या, तू तो ज़बरदस्ती करने लगा। तुझे शरम नहीं आती?

‘ओह दीदी, आपने तो कहा था कि मेरा ब्लाऊज़ मत ख़राब कर। रस पीने को तो मना नहीं किया था, इसलिए मैंने ब्लाऊज़ को ऊपर उठा दिया।’ उसकी नज़र मेरी नंगी चूची पर ही थी जो ब्लाऊज़ से बाहर थी।

वह अपने को और नहीं रोक सका और फिर से मेरी चूची मुँह में ले ली और चूसने लगा।

मुझे भी मजा आ रहा था और मेरी प्यास बढ़ रही थी। कुछ देर बाद मैंने ज़बरदस्ती उसका मुँह चूची से हटाया और दूसरी चूची की तरफ़ लाते हुए बोली- अरे साले, ये दो होती हैं, और दोनों में बराबर का मजा होता है।

उसने दूसरे मम्मे को भी ब्लाऊज़ से बाहर किया और उसका निप्पल मुँह में लेकर चुभलाने लगा और साथ ही एक हाथ से वह मेरी नंगी चूची को सहलाने लगा। कुछ देर बाद मेरा मन उसके गुलाबी होंठों को चूमने को करने लगा तो मैंने उससे कहा- कभी किसी को क़िस किया है? मुझे शर्म आती है!

‘नहीं दीदी, पर सुना है कि इसमें बहुत मजा आता है?’
‘बिल्कुल ठीक सुना है, पर क़िस ठीक से करना आना चाहिए।’
‘कैसे?’

उसने पूछा और मेरी चूची से मुँह हटा लिया। अब मेरी दोनों चूचियाँ ब्लाऊज़ से आज़ाद खुली हवा में तनी थी लेकिन मैंने उन्हें छुपाया नहीं बल्कि अपना मुँह उसके मुँह के पास ले जाकर अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिए फिर धीरे से अपने होंठ से उसके होंठ खोलकर उन्हे प्यार से चूसने लगी। क़रीब दो मिनट तक उसके होंठ चूसती रही, फिर बोली- ऐसे!

वह बहुत उत्तेजित हो गया था।

इससे पहले कि मैं उसे बोलूं कि वह भी एक बार किस करने की प्रैक्टिस कर ले, वह ख़ुद ही बोला- दीदी मैं भी करूँ आपको एक बार? ‘कर ले।’ मैंने मुस्कराते हुए कहा।

मुकेश ने मेरी ही स्टाइल में मुझे क़िस किया। मेरे होंठों को चूसते समय उसका सीना मेरे सीने पर आकर दबाव डाल रहा था जिससे मेरी मस्ती दोगुनी हो गई थी। उसका क़िस ख़त्म करने के बाद मैंने उसे अपने ऊपर से हटाया और बांहो में लेकर फिर से उसके होंठ चूसने लगी, इस बार मैं थोड़ा ज़्यादा जोश से उसे चूस रही थी। उसने मेरी एक चूची पकड़ ली थी और उसे कस कसकर दबा रहा था। मैंने अपनी कमर आगे करके चूत उसके लंड पर दबाई। लंड एकदम तन कर डण्डा हो गया था। चुदवाने का एकदम सही मौक़ा था पर मैं चाहती थी कि वह मुझसे चोदने के लिए भीख मांगे और मैं उस पर एहसान करके उसे चोदने की इज़ाज़त दूं।
मैं बोली- चल अब बहुत हो गया, ला अब तेरी मुट्ठ मार दूँ।

‘दीदी एक रिक्वेस्ट करूँ?’
‘क्या?’ मैंने पूछा- लेकिन रिक्वेस्ट ऐसी होनी चाहिए कि मुझे बुरा ना लगे।

ऐसा लग रहा था कि वह मेरी बात ही नहीं सुन रहा है, बस अपनी कहे जा रहा है, वह बोला- दीदी, मैंने सुना है कि अंदर डालने में बहुत मजा आता है, डालने वाले को भी और डलवाने वाले को भी। मैं भी एक बार अंदर डालना चाहता हूँ।

‘नहीं मुकेश, तुम मेरे छोटे भाई हो और मैं तुम्हारी बड़ी बहन।’
‘दीदी, मैं आपकी लूंगा नहीं, बस अंदर डालने दीजिए।’
‘अरे यार, तो फिर लेने में क्या बचा?’
‘दीदी, बस अंदर डालकर देखूँगा कि कैसा लगता है, चोदूँगा नहीं! प्लीज दीदी।’

मैंने उस पर एहसान करते हुए कहा- तुम मेरे भाई हो इसलिए मैं तुम्हारी बात को मना नहीं कर सकती, पर मेरी एक शर्त है, तुमको बताना होगा कि अक्सर ख़्यालों में किसको चोदते हो?

और मैं बेड पर पैर फैला कर चित्त लेट गई और उसे घुटने के बल अपने ऊपर बैठने को कहा।

वह बैठा तो उसके पजामे के नाड़े को खोलकर पजामा नीचे कर दिया। उसका लंड तनकर खड़ा था। मैंने उसकी बाँह पकड़ कर उसे अपने ऊपर कोहनी के बल लिटा लिया जिससे उसका पूरा वज़न उसके घुटनों और कोहनी पर आ गया। वह अब और नहीं रुक सकता था। उसने मेरी एक चूची को मुँह में भर लिया जो ब्लाऊज़ से बाहर थी।

मैं उसे अभी और छेड़ना चाहती थी- सुन मुकेश, ब्लाऊज़ ऊपर होने से चुभ रहा है, ऐसा कर इसको नीचे करके मेरे संतरे ढांप दे।

‘नहीं दीदी, मैं इसे खोल देता हूँ।’ और उसने ब्लाऊज़ के बटन खोल दिए।

अब मेरी दोनों चूचियाँ पूरी नंगी थी। उसने लपककर दोनों को क़ब्ज़े में कर लिया। अब एक चूची उसके मुँह में थी और दूसरी को वह मसल रहा था।

वह मेरी चूचियों का मजा लेने लगा और मैंने अपना पेटिकोट ऊपर करके उसके लंड को हाथ से पकड़ कर अपनी गीली चूत पर रग़ड़ना शुरू कर दिया। कुछ देर बाद लंड को चूत के मुँह पर रखकर बोली- ले अब तेरे चाकू को अपने खरबूजे पर रख दिया है पर अंदर आने से पहले उसका नाम बता जिसकी तू बहुत दिन से लेना चाहता है और जिसे याद करके मुट्ठ मारता है। मुझे शर्म आती है

वह मेरी चूचियों को पकड़कर मेरे ऊपर झुक गया और अपने होंठ मेरे होंठ पर रख दिए, मैं भी अपना मुँह खोलकर उसके होंठ चूसने लगी।

कुछ देर बाद मैंने कहा- हाँ, तो मेरे प्यारे भाई अब बता तेरे सपनों की रानी कौन है?
‘दीदी आप बुरा मत मानिएगा पर मैंने आज तक जितनी भी मुट्ठ मारी है सिर्फ़ आपको ख़्यालों में रखकर!’
‘हाय भाई, तू कितना बेशरम है, अपनी बड़ी बहन के बारे में ऐसा सोचता है?’

‘ओह दीदी, मैं क्या करूँ! आप बहुत ख़ूबसूरत और सेक्सी हैं! मैं तो कब से आपकी चूचियों का रस पीना चाहता था और आपकी चूत मैं लंड डालना चाहता था। आज दिल की आरज़ू पूरी हुई!’

और फिर उसने शरमा कर आँखे बंद करके धीरे से अपना लंड मेरी चूत में डाला और वादे के मुताबिक़ चुपचाप लेट गया।

‘अरे तू मुझे इतना चाहता है! मैंने तो कभी सोचा भी नहीं था कि घर में ही एक लंड मेरे लिए तड़प रहा है। पहले बोला होता तो पहले ही तुझे मौका दे देती!’

और मैंने धीरे-धीरे उसकी पीठ सहलानी शुरू कर दी। बीच-बीच में उसकी गांड भी दबा देती।

‘दीदी मेरी किस्मत देखिए कितनी झांटू है, जिस चूत के लिए तड़प रहा था, उसी चूत में लंड पड़ा है पर चोद नहीं सकता। पर फिर भी लग रहा है कि स्वर्ग में हूँ।’

वह खुल कर लंड चूत बोल रहा था पर मैंने बुरा नहीं माना।

‘अच्छा दीदी, अब वायदे के मुताबिक़ बाहर निकलता हूँ।’ और वह लंड बाहर निकालने को तैयार हुआ।
मैं तो सोच रही थी कि वह अब चूत में लंड का धक्का लगाना शुरू करेगा लेकिन यह तो ठीक उल्टा कर रहा था। मुझे उस पर बड़ी दया आई, साथ ही अच्छा भी लगा कि वायदे का पक्का है!

अब मेरा फ़र्ज़ बनता था कि मैं उसकी वफ़ादारी का इनाम अपनी चूत चुदवा कर दूं, इसलिए उससे बोली- अरे यार, तूने मेरी चूत की अपने ख़्यालों में इतनी पूजा की है और तूने अपना वादा भी निभाया इसलिए मैं अपने प्यारे भाई का दिल नहीं तोड़ूँगी, चल अगर तू अपनी बहन को चोद कर बहनचोद बनना ही चाहता है तो चोद ले अपनी जवान बड़ी बहन की चूत।’

मैंने जानकार इतने गंदे शब्द प्रयोग किए थे पर वह बुरा ना मानकर ख़ुश होता हुआ बोला- सच दीदी!

और फ़ौरन मेरी चूत में अपना लंड धकाधक पेलने लगा कि कहीं मैं अपना इरादा ना बदल दूँ।

‘तू बहुत किस्मत वाला है मुकेश!’ मैं उसके कुंवारे लंड की चुदाई का मजा लेते हुए बोली।
‘क्यों दीदी?’
‘अरे यार, तू अपनी ज़िंदगी की पहली चुदाई अपनी ही बहन की कर रहा है और उसी बहन की जिसकी तू जाने क़ब से चोदना चाहता था।’

‘हाँ दीदी, मुझे तो अब भी यक़ीन नहीं आ रहा है, लगता है सपने में चोद रहा हूँ, जैसे रोज़ आपको चोदता था।’ फिर वह मेरी एक चूची को मुँह में दबा कर चूसने लगा। उसके धक्कों की रफ़्तार अभी भी कम नहीं हुई थी। मैं भी काफ़ी दिनों के बाद चुद रही थी इसलिए मैं भी चुदाई का पूरा मजा ले रही थी।

वह एक पल रुका, फिर लंड को गहराई तक ठीक से पेल कर ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा।

वह अब झड़ने वाला था, मैं भी सातवें आसमान पर पहुँच गई थी और नीचे से कमर उठा-उठाकर उसके धक्कों का जवाब दे रही थी। उसने मेरी चूची छोड़ कर मेरे होंठों को मुँह में ले लिया जो मुझे हमेशा अच्छा लगता था। मुझे चूमते हुए कसकस कर दो चार धक्के दिए और ‘हाए मेरी जान!’ कहते हुए झड़कर मेरे ऊपर चिपक गया।

मैंने भी नीचे से दो चार धक्के दिए और ‘हाए मेरे राजा…’ कहते हुए झड़ गई।

चुदाई के जोश ने हम दोनों को निढाल कर दिया था। हम दोनों कुछ देर तक यूँ ही एक दूसरे से चिपके रहे। कुछ देर बाद मैंने उससे पूछा- क्यों मजा आया मेरे बहनचोद भाई को अपनी बहन की चूत मारने में?

उसका लंड अभी भी मेरी चूत में था, उसने मुझे कसकर अपनी बांहों में जकड़ कर अपने लंड को मेरी चूत पर कसकर दबाया और बोला- बहुत मजा आया दीदी। यक़ीन नहीं होता कि मैंने अपनी बहन को चोदा है और बहनचोद बन गया हूँ।

‘तो क्या तुझे अब अफ़सोस लग रहा है अपनी बहन को चोद कर बहनचोद बनने का?’

‘नहीं दीदी, यह बात भी नहीं है, मुझे तो बड़ा ही मजा आया बहनचोद बनने में! मन तो कर रहा है कि बस अब सिर्फ़ अपनी दीदी की जवानी का रस ही पीता रहूँ। हाय दीदी, बल्कि मैं तो सोच रहा हूँ कि भगवान ने मुझे सिर्फ़ एक बहन क्यों दी। अगर एक दो और होती तो सबको चोदता। दीदी मैं तो यह सोच रहा हूँ कि यह कैसी चुदाई हुई कि पूरी तरह से चोद लिया लेकिन चूत देखी भी नहीं।’

‘कोई बात नहीं, मजा तो पूरा लिया ना?’
‘हाँ दीदी, मजा तो ख़ूब आया।’

‘तू घबराता क्यों है, अब तो भाई बहन की चुदाई हो चुकी है, अब सब कुछ तुझे दिखाऊँगी। जब तक माँ नहीं आती मैं घर पर नंगी ही रहूंगी और तुझे अपनी चूत भी चटवाऊँगी और तेरा लंड भी चूसूंगी। बहुत मजा आता है।’
‘सच दीदी?’
‘हाँ, अच्छा एक बात है, तू इस बात का अफ़सोस ना कर कि तेरे सिर्फ़ एक ही बहन है, मैं तेरे लिए और चूत का जुगाड़ कर दूँगी..’
‘नहीं दीदी अपनी बहन को चोदने में मजा ही अनोखा है, बाहर क्या मजा आएगा?’

‘अच्छा चल एक काम कर, तू माँ को चोद ले और मादरचोद भी बन जा!’
‘ओह दीदी, यह कैसे होगा?’
‘घबरा मत, पूरा इंतज़ाम मैं कर दूँगी। माँ अभी 38 साल की है, तुझे मादरचोद बनने में भी बड़ा मजा आएगा।’
‘हाय दीदी, आप कितनी अच्छी हैं, दीदी एक बार अभी और चोदने दो! इस बार पूरी नंगी करके चोदूँगा।’
‘जी नहीं! आप मुझे अब माफ़ करिए!’
‘दीदी प्लीज़ सिर्फ़ एक बार!’ और लंड को चूत पर दबा दिया।
‘सिर्फ़ एक बार ना?’ मैंने ज़ोर देकर पूछा।
‘सिर्फ़ एक बार दीदी! पक्का वादा!’
‘सिर्फ़ एक बार करना है तो बिल्कुल नहीं!’

‘क्यों दीदी?’ अब तक उसका लंड मेरी चूत में अपना पूरा रस निचोड़ कर बाहर आ गया था।मैंने उसे झटके देते हुए कहा- अगर एक बार बोलूँगी तब तुम अभी ही मुझे एक बार और चोद लोगे?
‘हाँ दीदी!’
‘ठीक है, बाक़ी दिन क्या होगा? बस मेरी देखकर मुट्ठ मारा करेगा क्या? और मैं क्या बाहर से कोई लाऊँगी अपने लिए? अगर सिर्फ़ एक बार मेरी लेनी है तो बिल्कुल नहीं।’

उसे कुछ देर बाद जब मेरी बात समझ में आई तो उसके लण्ड में थोड़ी जान आई और उसे मेरी चूत पर रग़ड़ते हुए बोला- ओह दीदी, यू आर ग्रेट!

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

anjane be behen ko choda or chudwaya

jaisa k app sab jante hain k mera name fariha shah hai aur meri ye kahani jo k ab  main likhne ja rahi hoon ise bhi mere bhai hi ki zubani likhon gi  ...................................ab chalte hain intro ki taraf........................................ ammi jaan .... salma .... age... 39 hai abhi tak jismani tour pe ek dam fit aur sexy  body ki malik hain dikhne main lagta hi nai k meri ammi ki age 39 hai balke wo dekhne  main lagta hai k jaise abhi 28 ki hoon gi main... fariha shah... age 21... smart ek gharelu ladki jo k sex ki shokeen lakin abhi  tak kisi k sath kiya nai bus movie,s dekhna aur apni frnd,s k sath hansi mazak aur  masti se zyada agge nai badhi thi study chor di hai kion k mera dil hi nai lagta pdhai  main salmaan...(sunny) mera chota bhai aur is kahani ko isi ki zubani pouhnchaya jaye  gaabhi 19 ka hai f.s.c kar raha hai gora chita aur gabrou jawan hai mera bhai jis pe  koi bhi ladki apn...
jaisa k app sab jante hain k mera name fariha shah hai aur meri ye kahani jo k ab  main likhne ja rahi hoon ise bhi mere bhai hi ki zubani likhon gi  ...................................ab chalte hain intro ki taraf........................................ ammi jaan .... salma .... age... 39 hai abhi tak jismani tour pe ek dam fit aur sexy  body ki malik hain dikhne main lagta hi nai k meri ammi ki age 39 hai balke wo dekhne  main lagta hai k jaise abhi 28 ki hoon gi main... fariha shah... age 21... smart ek gharelu ladki jo k sex ki shokeen lakin abhi  tak kisi k sath kiya nai bus movie,s dekhna aur apni frnd,s k sath hansi mazak aur  masti se zyada agge nai badhi thi study chor di hai kion k mera dil hi nai lagta pdhai  main salmaan...(sunny) mera chota bhai aur is kahani ko isi ki zubani pouhnchaya jaye  gaabhi 19 ka hai f.s.c kar raha hai gora chita aur gabrou jawan hai mera bhai jis pe  koi bhi ladki apn...

mai aur meri behen aur blu film

Mera naam Suresh h. Main apne parivaar k sath delhi me rehta hu. Meri age 18 saal h. Meri family me mere alawa meri maa, papa n behen h. Behen ka naam Esha h. Uski age 21 saal h. Main sidha story pe ata hu. Main bchpan se hi sex ka bhuka tha. Magazines, internet , blue film, hr cheez se mjhe bhot pyar tha. But main ye addictn sirf apne tk rkhta tha. Kisiko bhnk ni hone deta tha. Jb ghr pe koi hota nai tha , tb hi aise kaam krta tha. Ek saal pehle ki baat h. Main subhe park se ghr aya. Ghar pe meri behen k alawa aur koi ni tha. Maine usse pucha ki mom- dad kahan h. Usne btaya ki nana ki tbiyt achank se khrab hogyi h....dad mom ko lekar jaipur gye hn....ab prso hi aynge. Main pehle toh nana ko leke chintit hua. Bt fir socha ki shayad mjhe thoda 'akela' tym mil jaye. Meri behen apne clg k liye nikl rhi thi. Usne mjhe brkfast dia n phir apne clg k liye nikl gyi. Main aap sbko pehle hi bta du ki mjhe apni behen ki trf koi attractn nai tha. Kbi is baat ki trf dhyan b ni dia. Neways,...